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सिविल कानून
कृत्रिम परिवेशीय (इन वि ट्रीयो) निषेचन
« »30-Apr-2024
सुदर्शन मंडल एवं अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य। "इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के मामलों में, यह अनिवार्य नहीं है कि शुक्राणु या अंडाणु स्वयं IVF चाहने वाले जोड़े से ही आना चाहिये”। न्यायमूर्ति सब्यासाची भट्टाचार्य |
स्रोत: कलकत्ता उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सुदर्शन मंडल एवं अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने माना है कि इन-विट्रियो फर्टिलाइजेशन (IVF) के मामलों में, यह अनिवार्य नहीं है कि या तो शुक्राणु या अंडाणु स्वयं IVF चाहने वाले दंपत्ति से आना चाहिये।
सुदर्शन मंडल एवं अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- इस मामले में, एक पति ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसने कम उम्र में अपनी किशोर बेटी के मृत्यु के बाद अपनी पत्नी के साथ IVF के माध्यम से गर्भधारण करने की मांग की थी।
- पति की उम्र 59 वर्ष और अधिनियम के अनुसार IVF की सीमा से अधिक होने के कारण दंपत्ति को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था, जबकि पत्नी की उम्र 46 वर्ष होने के कारण इसके लिये पात्र थी।
- न्यायालय ने माना कि पति इस प्रक्रिया के लिये अपने युग्मक दान करने की उम्र पार कर चुका था, पत्नी अभी भी अधिनियम के अधीन पात्र थी तथा IVF उपचार लेने के लिये उस पर कोई रोक नहीं थी।
- इसके बाद, उच्च न्यायालय ने दंपति की IVF उपचार प्राप्त करने की याचिका को अनुमति दे दी।
न्यायालय की क्या टिप्पणियाँ थीं?
- न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की एकल पीठ ने कहा कि सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के अधीन एक इसके लिये इच्छुक जोड़ा, जो IVF सुविधाएँ ले सकता है, को एक विवाहित जोड़े के रूप में परिभाषित किया गया था, जो प्राकृतिक तरीकों से गर्भधारण करने में असमर्थ थे।
- आगे यह माना गया कि यदि पति IVF प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकता है, तो भी दंपत्ति गर्भधारण कर सकते हैं, क्योंकि वे दाता, युग्मक स्वीकार करने के इच्छुक थे। मानव शरीर के बाहर शुक्राणु या अंडाणु को संभालकर गर्भावस्था प्राप्त की जा सकती है। इस आशय का कोई प्रतिबंध नहीं है कि दोनों में से कोई एक (शुक्राणु या अंडाणु) स्वयं जोड़े से ही आना चाहिये।
सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) (विनियमन) अधिनियम, 2021 क्या है?
विधिक प्रावधान:
- ART (विनियमन) अधिनियम 2021 राष्ट्रीय सहायता प्राप्त प्रजनन प्रौद्योगिकी एवं सरोगेसी बोर्ड की स्थापना करके सरोगेसी पर विधि के कार्यान्वयन के लिये एक प्रणाली प्रदान करता है।
- अधिनियम का उद्देश्य ART क्लीनिकों एवं सहायता प्राप्त प्रजनन प्रौद्योगिकी बैंकों का विनियमन व पर्यवेक्षण, दुरुपयोग की रोकथाम और ART सेवाओं का सुरक्षित एवं नैतिक अभ्यास करना है।
ART सेवाओं की परिभाषा:
- अधिनियम ART को उन सभी तकनीकों को शामिल करने के लिये परिभाषित करता है, जो मानव शरीर के बाहर शुक्राणु या अपरिपक्व डिम्ब (अंड कोशिका) को संभालकर और युग्मक या भ्रूण को एक महिला की प्रजनन प्रणाली में स्थानांतरित करके गर्भावस्था प्राप्त किया जाता है।
- इनमें युग्मक दान (शुक्राणु या अंडे का), इन विट्रो निषेचन और गर्भकालीन सरोगेसी शामिल हैं।
ART के माध्यम से जन्मे बच्चे के अधिकार:
- ART के माध्यम से पैदा हुए बच्चे को इच्छुक जोड़े का जैविक बच्चा माना जाएगा तथा इच्छुक जोड़े के प्राकृतिक बच्चे के लिये उपलब्ध अधिकारों एवं विशेषाधिकारों का अधिकारी होगा।
- दाता के पास बच्चे पर माता-पिता का कोई अधिकार नहीं होगा।
ART सेवाओं का अनुप्रयोग:
- इस अधिनियम की धारा 21(g) के अनुसार, क्लीनिक सहायक, प्रजनन प्रौद्योगिकी सेवाएँ लागू करेंगे-
(i) इक्कीस वर्ष से अधिक और पचास वर्ष से कम आयु की महिला को।
(ii) इक्कीस वर्ष से अधिक आयु और पचपन वर्ष से कम आयु के पुरुष के लिये।