एडमिशन ओपन: UP APO प्रिलिम्स + मेंस कोर्स 2025, बैच 6th October से   |   ज्यूडिशियरी फाउंडेशन कोर्स (प्रयागराज)   |   अपनी सीट आज ही कन्फर्म करें - UP APO प्रिलिम्स कोर्स 2025, बैच 6th October से










होम / भारतीय संविधान

सांविधानिक विधि

आनुवंशिक जानकारी और निजता

    «
 12-Nov-2025

परिचय 

  • आनुवंशिक जानकारी व्यक्तिगत और अंतरंग होती है। यह व्यक्ति के मूल स्वरूप पर प्रकाश डालती है। 
  • यह व्यक्तियों कोअपने स्वास्थ्य, निजता और पहचान के बारे में सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाती है। 
  • बालकों को तलाक की कार्यवाही में DNA परीक्षण से अपनी आनुवंशिक जानकारी की रक्षा करने का अधिकारहै, क्योंकि यह उनकी निजता के मौलिक अधिकार का भाग है। 
  • भारत के संविधान, 1950 (COI) के अनुच्छेद 21 केअधीन इसको प्रत्याभूत किया गया है । 
  • यह आवश्यक है कि बालक पति-पत्नी के बीच झगड़े का केंद्र बिंदु न बनें। 
  • निजता, स्वायत्तता और पहचान के अधिकारों कोसंयुक्त राष्ट्र के बाल अधिकार अभिसमय के अंतर्गत मान्यता दी गई है। 
  • यह अभिसमय इस बात को स्वीकार करता हैकि व्यक्तियों, जिनमें बच्चे भी सम्मिलित हैं, काअपनी व्यक्तिगत सीमाओं परनियंत्रणहोता है तथा वे अन्य लोगों के संबंध में स्वयं को परिभाषित करने के लिये अपना साधन भी निर्धारित करते हैं। 
  • बच्चों को केवल बच्चे होने के कारण दूसरों को प्रभावित करने और उनकी आत्म-भावना को समझने के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिये 

भारत में आनुवंशिक जानकारी की स्थिति 

आनुवंशिक डेटा और निजता: 

  • आनुवंशिक डेटा निजता एक ऐसा शब्द है जो किसी पर-पक्षकार या किसी अन्य व्यक्ति को किसी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसके आनुवंशिक डेटा का उपयोग करने से रोकता है। 
  • तकनीकी प्रगति ने DNA नमूनों से व्यक्तिगत जानकारी निकालना आसान बना दिया है, जिससे निजता के अधिकारों का उल्लंघन होता है। 
  • यद्यपि आनुवंशिक अनुसंधान भविष्य के लिये आशाजनक है, किंतु इसके गलत उपयोग के नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं। किसी व्यक्ति के भौतिक अस्तित्व के लिये आनुवंशिक डेटा के महत्त्व के कारण, निजता की सुरक्षा अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। 

आनुवंशिक जानकारी के लाभ: 

  • आनुवंशिक जानकारी सेरोग, स्वास्थ्य और वंश के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सकती है। 
  • इस ज्ञान सेव्यक्ति की अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ सकती है, इसका उपयोग चिकित्सा अनुसंधान में किया जा सकता है, तथा रोग की निवारण के लिये शीघ्र हस्तक्षेप संभव हो सकता है। 

आनुवंशिक जानकारी के नुकसान: 

  • आनुवंशिक डेटा में व्यक्ति का DNA और गुणसूत्र शामिल होते हैं और इससे स्वास्थ्य और वंश के बारे में व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त हो सकती है। 
  • सीधे उपभोक्ता के लिये किये जाने वाले आनुवंशिक परीक्षण सदैव विश्वसनीय नहीं होतेऔर इनके परिणामस्वरूप निजी जानकारी का अनपेक्षित रूप से सार्वजनिक हो जाना संभव है। आनुवंशिक डेटा तक अनधिकृत पहुँच के परिणामस्वरूप नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं, जैसे नियोक्ताओं, बीमा प्रदाताओं और सरकार की ओर से अवांछित प्रतिक्रियाएँ, जो व्यक्ति की निजता और जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। 
  •  

आनुवंशिक निजता की स्थिति: 

  • 2018 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी द्वारा हृदय रोग से पीड़ित एक व्यक्ति के विरुद्ध स्वास्थ्य बीमा में विभेद के विरुद्ध निर्णय दिया, जिसे आनुवंशिक विकार माना जाता था। 
  • आनुवंशिक विभेदअनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, जो यह प्रत्याभूत करता है कि विधि के अधीन सभी के साथ निष्पक्ष व्यवहार किया जाएगा। 
  • भारत के उच्चतम न्यायालय नेन्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) एवं अन्य बनाम भारत संघ (2017) के मामले में सर्वसम्मति से कहा कि निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के अधीन एक मौलिक अधिकार है। 
  • लगभग सभी देशों में आनुवंशिक विभेदअवैध है। 2008 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने आनुवंशिक सूचना गैर-भेदभाव अधिनियम (GINA) पारित किया, जो एक संघीय विधि है जो स्वास्थ्य सेवा और नौकरियों में लोगों को आनुवंशिक विभेद से बचाता है। 

आनुवंशिक डेटा निजता को सुदृढ़ बनाना: विधिक, तकनीकी और नैतिक दृष्टिकोण 

  • विधिक दृष्टिकोण से,आनुवंशिक जानकारी के लिये विशेष रूप से तैयार किये गए अधिक व्यापक निजता विधि और विनियम विकसित करने की आवश्यकता है। 
  • इसमें आनुवंशिक परीक्षण और डेटा साझा करने के लिये सूचित सहमति प्राप्त करने के लिये कठोर आवश्यकताएँ सम्मिलित हो सकती हैं, साथ ही आनुवंशिक जानकारी तक अनधिकृत पहुँच या उपयोग के लिये दण्ड भी शामिल हो सकता है। 
  • तकनीकी रूप से,एन्क्रिप्शन, सुरक्षित भंडारण और डेटा साझाकरण प्रोटोकॉल में प्रगति के माध्यम से निजता सुरक्षा को बढ़ाने के अवसर हो सकते हैं। 
  • उदाहरण के लिये, होमोमोर्फिक एन्क्रिप्शन तकनीक का उपयोग, अंतर्निहित जानकारी को उजागर किये बिना एन्क्रिप्टेड आनुवंशिक डेटा पर गणना करने के लिये किया जा सकता है। 
  • नैतिक दृष्टिकोणसे, आनुवंशिक परीक्षण और डेटा साझाकरण के मूल्य और जोखिमों के बारे में लोक संवाद और शिक्षा जारी रखना महत्त्वपूर्ण होगा। 
  • इसमें आनुवंशिक डेटा के संग्रहण, उपयोग और साझाकरण के संबंध में पारदर्शिता, खुलेपन और जवाबदेही को बढ़ावा देने के प्रयास शामिल हो सकते हैं, साथ ही आनुवंशिक परीक्षण और लाभों तक समान पहुँच को बढ़ावा देने के लिये पहल भी सम्मिलित हो सकती है।