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पर्यावरणीय विधि
आनुवंशिक रूप से संवर्धित सरसों के उत्पादन पर विभाजित निर्णय
« »24-Jul-2024
जीन कैम्पेन एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य “GM सरसों के उत्पादन की स्वीकृति पर विभाजित निर्णय आया, जिसके अंतर्गत शोध की अनुमति तो रहेगी लेकिन व्यावसायिक रिलीज़ पर रोक जारी रहेगी।” न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना एवं न्यायमूर्ति संजय करोल |
स्रोत: उच्चतम न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जीन कैम्पेन एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य मामले में उच्चतम न्यायालय ने आनुवंशिक रूप से संवर्धित सरसों के लिये केंद्र सरकार की स्वीकृति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विभाजित निर्णय दिया।
- न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना ने जनहित की चिंताओं एवं प्रक्रियागत खामियों का हवाला देते हुए स्वीकृति को अमान्य करार दिया, जबकि न्यायमूर्ति संजय करोल ने वैज्ञानिक विकास पर ज़ोर देते हुए इसे यथावत् रखा।
- अलग-अलग राय के साथ, पीठ ने मामले को मुख्य न्यायाधीश को एक बड़ी पीठ गठित करने के लिये भेज दिया, जिससे आगे की समीक्षा लंबित रहने तक कार्यान्वयन में विलंब हुआ, जबकि सरकार ने निर्णय के साथ आगे न बढ़ने पर सहमति जताई थी।
जीन कैम्पेन एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- भारत में व्यावसायिक खेती के लिये आनुवंशिक रूप से संवर्धित (GM) सरसों को जारी करने की केंद्र सरकार की स्वीकृति को चुनौती देने वाली याचिकाएँ।
- 'HT मस्टर्ड DMH-11' नामक यह GM सरसों की किस्म को अगर स्वीकृति मिल जाती है तो भारत में उगाई जाने वाली पहली ट्रांसजेनिक खाद्य फसल होगी।
- याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने इस निर्णय को लागू न करने पर सहमति जताई थी।
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत GEAC को 18 अक्टूबर 2022 को स्वीकृति दी गई थी।
- ट्रांसजेनिक सरसों के पर्यावरणीय विमोचन के लिये अगला निर्णय 25 अक्टूबर 2022 को लिया गया।
- गैर-सरकारी संगठनों एवं कार्यकर्त्ताओं ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए जनहित याचिकाएँ (PIL) दायर कीं।
- वर्ष 2012 में, उच्चतम न्यायालय ने GMO विनियमनों की जाँच के लिये एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति (TEC) का गठन किया था।
- TEC ने कहा था कि भारत में GMO विनियामक प्रणाली 'पूरी तरह से अव्यवस्थित' है तथा इसमें सुधार की आवश्यकता है।
- न्यायालय ने इस बात पर नाराज़गी जताई कि GEAC ने अक्टूबर 2022 में अपना निर्णय लेने से पहले TEC की रिपोर्ट पर विचार नहीं किया।
- न्यायालय द्वारा केंद्र को नवंबर 2022 में यथास्थिति बनाए रखने के लिये कहने के बाद GM सरसों के उत्पादन पर रोक लगा दी गई थी।
- याचिकाकर्त्ताओं ने आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों के खतरों के विषय में तर्क दिया, विशेष रूप से खुले मैदान में परीक्षण करने के मामलों में।
- केंद्र ने तर्क दिया कि न्यायालय की जाँच का दायरा संकीर्ण होना चाहिये तथा मौजूदा जैव-सुरक्षा की व्यवस्था सभी चिंताओं को संबोधित करती है।
- केंद्र ने यह भी तर्क दिया कि GM सरसों की उपज गैर-GM किस्मों की तुलना में अधिक है तथा अन्य प्रमुख कृषि देशों में GM फसलों को बड़े पैमाने पर अपनाया गया है।
- उच्चतम न्यायालय ने इन याचिकाओं पर 23 जुलाई, 2024 को अपना निर्णय दिया।
न्यायालय की क्या टिप्पणियाँ थीं?
- न्यायालय ने कहा कि जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) के निर्णय की न्यायिक समीक्षा स्वीकार्य है।
- पीठ ने कहा कि भारत संघ को आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलों के संबंध में एक राष्ट्रीय नीति विकसित करने की आवश्यकता है, जिसे राज्यों एवं किसान समूहों सहित सभी हितधारकों के परामर्श से तैयार किया जाना चाहिये।
- न्यायालय ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को नीति-निर्माण के लिये चार महीने के अंदर राष्ट्रीय परामर्श आयोजित करने का निर्देश दिया।
- पीठ ने कहा कि केंद्र को विशेषज्ञों की साख का ईमानदारी से सत्यापन सुनिश्चित करना चाहिये और हितों के टकराव को कम करना चाहिये तथा तद्नुसार नियम बनाए जाने चाहिये।
- न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि GM खाद्य पदार्थों के आयात के मामलों में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया जाना चाहिये।
- न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि ट्रांसजेनिक सरसों के पर्यावरणीय विमोचन के संबंध में 18 अक्टूबर, 2022 की GEAC स्वीकृति एवं उसके बाद 25 अक्टूबर, 2022 का निर्णय "विकृत" है तथा जनहित के सिद्धांत के विपरीत है।
- न्यायालय ने कहा कि यह निर्णय स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव सहित कई पहलुओं पर विचार किये बिना जल्दबाज़ी में लिया गया था।
- न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का पर्याप्त आकलन करने में विफलता अंतर-पीढ़ीगत समता का उल्लंघन करती है।
- पीठ ने अक्टूबर 2022 में अपना निर्णय देने से पहले तकनीकी विशेषज्ञ समिति (TEC) की रिपोर्ट पर GEAC द्वारा विचार न करने पर नाराज़गी व्यक्त की।
- न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि TEC रिपोर्ट की अनदेखी करने से न्यायालय के दिये गए पूर्व के आदेशों की अवहेलना होगी।
- न्यायालय ने पाया कि विवादित अनुमोदन सार्वजनिक विश्वास के सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है।
- न्यायमूर्ति करोल ने अपनी असहमतिपूर्ण राय में कहा कि GEAC द्वारा दी गई स्वीकृति दोषपूर्ण नहीं थी तथा उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा सख्त निगरानी के निर्देश जारी किये।
- न्यायमूर्ति करोल ने कहा कि न्यायालय को अक्सर संबंधित संगठनों के प्रतिस्पर्द्धी हितों एवं वैज्ञानिक विकास के लिये सरकार के प्रयासों के मध्य संतुलन बनाना पड़ता है।
- न्यायालय ने कहा कि प्रक्रियागत कमियों के कारण आवश्यक नहीं कि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो।
- न्यायमूर्ति करोल ने निष्कर्ष निकाला कि फील्ड परीक्षण के लिये सशर्त मंज़ूरी देना वैज्ञानिक सोच के लिये सरकारी दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- पीठ ने निर्देश दिया कि GEAC फील्ड परीक्षण के दौरान किसी भी प्रकार का संदूषण न हो, यह सुनिश्चित करने के लिये सभी सावधानियों का ध्यान न रखने के लिये उत्तरदायी होगा।
- विभाजित निर्णय को ध्यान में रखते हुए, न्यायालय ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह मामले पुनः सुनवाई के लिये एक बड़ी पीठ के गठन हेतु मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखे।
आनुवंशिक रूप से संवर्द्धित (GM) फसलें क्या हैं?
- GM फसलें उन पौधों से प्राप्त होती हैं जिनके जीन को कृत्रिम रूप से संशोधित किया जाता है, आमतौर पर किसी अन्य जीव से आनुवंशिक सामग्री डालकर, ताकि उन्हें नए गुण प्रदान किये जा सकें, जैसे कि अधिक उपज, शाकनाशी के प्रति सहनशीलता, रोग या सूखे के प्रति प्रतिरोध, या बेहतर पोषण मूल्य।
- इससे पहले, भारत ने केवल एक GM फसल, BT कपास के व्यावसायिक उत्पादन को स्वीकृति दी थी, लेकिन जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) ने व्यावसायिक उपयोग के लिये GM सरसों की अनुशंसा की है।
- आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव (GMO) विनियम आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों की स्वीकृति, उत्पादन एवं व्यवसायीकरण को नियंत्रित करते हैं, सुरक्षा आकलन, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन व राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करते हैं।
GM सरसों क्या है?
- धारा मस्टर्ड हाइब्रिड-11 (DMH-11) स्वदेशी रूप से विकसित ट्रांसजेनिक सरसों है। यह हर्बिसाइड टॉलरेंट (HT) सरसों का आनुवंशिक रूप से संशोधित संस्करण है।
- DMH-11 भारतीय सरसों किस्म 'वरुणा' एवं पूर्वी यूरोपीय 'अर्ली हीरा-2' सरसों के मध्य क्रॉस का परिणाम है।
- इसमें दो विदेशी जीन ('बारनेज' एवं 'बारस्टार') शामिल हैं, जिन्हें बैसिलस एमाइलोलिकेफेसिएन्स नामक मिट्टी के जीवाणु से अलग किया गया है, जो उच्च उपज देने वाली वाणिज्यिक सरसों संकर के प्रजनन को सक्षम बनाता है।
- DMH-11 ने राष्ट्रीय जाँच की तुलना में लगभग 28% अधिक उपज एवं क्षेत्रीय जाँच की तुलना में 37% अधिक उपज दिखाई है तथा इसके उपयोग का दावा एवं अनुमोदन GEAC द्वारा किया गया है।
- "बार जीन" संकर बीज की आनुवंशिक शुद्धता को बनाए रखता है।
भारत में आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलों के लिये नियामक तंत्र क्या हैं?
- जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC):
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत प्रमुख नियामक निकाय।
- GM फसलों के बड़े पैमाने पर क्षेत्र परीक्षणों एवं वाणिज्यिक रिलीज़ को मंज़ूरी देने के लिये उत्तरदायी।
- जैव सुरक्षा डेटा एवं पर्यावरण प्रभाव आकलन की समीक्षा करता है।
- GEAC सुरक्षा मूल्यांकन में आणविक लक्षण वर्णन, खाद्य सुरक्षा अध्ययन एवं पर्यावरण सुरक्षा अध्ययन शामिल हैं, जिसमें क्षेत्र परीक्षण, मिट्टी पर प्रभाव, पराग प्रवाह अध्ययन शामिल हैं।
- आनुवंशिक परिवर्तन पर समीक्षा समिति (RCGM):
- जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन कार्य करता है।
- अनुसंधान गतिविधियों एवं छोटे पैमाने पर क्षेत्र परीक्षणों की देखरेख करता है।
- चल रहे अनुसंधान परियोजनाओं के सुरक्षा-संबंधी पहलुओं की निगरानी करता है।
भारत में GM फसलों की स्थिति क्या है?
- BT कपास:
- अतीत में कपास की फसलों को बर्बाद करने वाले बॉलवर्म के हमले से निपटने के लिये BT कपास को प्रारंभ किया गया था, जिसे महाराष्ट्र हाइब्रिड सीड्स कंपनी (माहिको) एवं अमेरिकी बीज कंपनी मोनसेंटो ने संयुक्त रूप से विकसित किया था।
- वर्ष 2002 में, GEAC ने 6 राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु में BT कॉटन के व्यावसायिक उत्पादन को स्वीकृति दी थी। यह ध्यान देने वाली बात है कि BT कॉटन GEAC द्वारा स्वीकृत पहली एवं एकमात्र ट्रांसजेनिक फसल है।
- BT बैंगन:
- माहिको ने धारवाड़ कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय एवं तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के साथ मिलकर BT बैंगन को विकसित किया गया।
- हालाँकि GEAC 2007 ने BT बैंगन के व्यावसायिक विमोचन की अनुशंसा की थी, लेकिन वर्ष 2010 में इस पहल को रोक दिया गया।
- GM-सरसों:
- धारा सरसों हाइब्रिड-11 या DMH-11 सरसों की एक आनुवंशिक रूप से संशोधित किस्म है जिसे दिल्ली विश्वविद्यालय के फसल पादप आनुवंशिक परिवर्तन केंद्र द्वारा विकसित किया गया है।
- दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं ने आनुवंशिक संशोधन के लिये "बार्नेज/बार्नस्टार" तकनीक का उपयोग करके संकरित सरसों DMH-11 बनाई है।
- यह एक शाकनाशी सहनशील (HT) फसल है।
- भारत में उच्च उपज देने वाली GM सरसों की व्यावसायिक खेती अभी तक शुरू नहीं हुई है।