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सिविल कानून

राष्ट्रीय लोक अदालत

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 06-Feb-2024

NALSA की अनुसूची

"NALSA ने राष्ट्रीय लोक अदालत की अनुसूची जारी कर दी है।"

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण

स्रोत: NALSA

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) ने वर्ष 2024 के लिये अपनी अनुसूची जारी की है।

समाचार की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • NALSA राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण विनियम, 2009 के साथ पठित विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के प्रावधानों के तहत हर वर्ष देश भर में राष्ट्रीय लोक अदालतों का आयोजन करता है।
  • NALSA प्रति वर्ष 4 लोक अदालतें आयोजित करता है।
  • वर्ष 2021, 2022 और 2023 का डेटा इस प्रकार है:

वर्ष

आयोजित लोक अदालतों की संख्या

पूर्व मुकदमेबाज़ी मामलों का निपटारा

लंबित मामलों का निपटारा

निपटाए गए कुल मामले

2021

4

72.06 लाख

55. 82 लाख

127.88 लाख

2022

4

310.15 लाख

109.11 लाख

410.26 लाख

2023

4

673.78 लाख

136.52 लाख

810.30 लाख

 वर्ष 2024 के लिये क्या अनुसूची है?

प्रथम राष्ट्रीय लोक अदालत

09/03/2024

द्वितीय राष्ट्रीय लोक अदालत

11/05/2024

तृतीय राष्ट्रीय लोक अदालत

14/09/2024

चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत

14/12/2024

 राष्ट्रीय लोक अदालत क्या होती है?

  • परिचय:
    • राष्ट्रीय लोक अदालत भारत की कानूनी प्रणाली में एक महत्त्वपूर्ण पहल है जिसका उद्देश्य वैकल्पिक माध्यमों से विवादों का त्वरित और लागत प्रभावी समाधान प्रदान करना है।
    • लोक अदालतों की अवधारणा, जिसका अर्थ है "लोगों की अदालत", ज़मीनी स्तर पर न्याय को बढ़ावा देने के लिये विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के एक भाग के रूप में पेश की गई थी।
  • उद्देश्य और कार्यप्रणाली:
    • राष्ट्रीय लोक अदालत का प्राथमिक उद्देश्य विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान को प्रोत्साहित करना है, जिससे पारंपरिक अदालतों पर बोझ कम होगा और समाज के सभी वर्गों के लिये न्याय तक पहुँच को बढ़ावा मिलेगा।
    • ये अदालतें सुलह, मध्यकता और समझौते के सिद्धांतों पर आधारित होती हैं, जहाँ पक्षकार स्वेच्छा से समाधान प्रक्रिया में भाग लेते हैं।
  • दायरा और अधिकार क्षेत्र
    • राष्ट्रीय लोक अदालतें विभिन्न प्रकार के विवादों को संबोधित करती हैं।
    • उनके पास लंबित मामलों के साथ-साथ पूर्व मुकदमेबाज़ी चरण के मामलों को भी निपटाने का अधिकार है।
    • अधिकार क्षेत्र शमनीय अपराधों तक फैला हुआ है।
  • कोई अधिकार क्षेत्र नहीं:
    • विवाह-विच्छेद से संबंधित मामलों या किसी कानून के तहत अशमनीय अपराध से संबंधित मामलों के संबंध में लोक अदालत का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।
  • विशेषताएँ और लाभ
    • राष्ट्रीय लोक अदालतों की विशिष्ट विशेषताओं में से एक विवादों को तेज़ी से और सस्ते में सुलझाने पर ज़ोर देना है।
    • वे विवादित पक्षों को बातचीत करने और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर पहुँचने के लिये एक मंच प्रदान करते हैं, इस प्रकार सामुदायिक सद्भाव को बढ़ावा मिलता है तथा पारंपरिक अदालतों में मामलों के बैकलॉग को कम किया जाता है।
  • सिविल न्यायालय:
    • उक्त अधिनियम के तहत, लोक अदालतों द्वारा दिया गया पंचाट (निर्णय) एक सिविल न्यायालय का डिक्री माना जाता है और सभी पक्षों के लिये अंतिम तथा बाध्यकारी होता है एवं ऐसे पंचाट के विरुद्ध किसी भी न्यायालय के समक्ष कोई अपील नहीं की जा सकती है।
    • यदि पक्ष लोक अदालत के निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं, हालाँकि ऐसे निर्णय के विरुद्ध अपील का कोई प्रावधान नहीं है, तो वे मुकदमेबाज़ी के अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए, आवश्यक प्रक्रिया का पालन करके मामला दायर करके उचित अधिकार क्षेत्र वाले न्यायालय में जाकर मुकदमा शुरू करने के लिये स्वतंत्र हैं।