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कानूनी शब्दावली

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  • किसी लिखित दस्तावेज़ का निरस्तीकरण।
न्यायालय लिखत को आंशिक रूप से रद्द कर सकती है।
  • किसी का चित्र या वर्णन जो उसके रूप-रंग या व्यवहार को वास्तव में उससे भी अधिक विचित्र बनाता है और अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करता है।
उपहासांकन दस्तावेज है।
  • अप्रत्यक्ष प्रकृति के साक्ष्य।
पारिस्थितिक साक्ष्य सम्यक सतर्कता के साथ स्वीकृत किये जाने चाहियें।
  • किसी देश के नागरिक की स्थिति।
भारत अपने नागरिकों को एकल नागरिकता की अनुमति देता है ।
  • किसी दूसरे पर शारीरिक या नैतिक रूप से ऐसा बल लगाना जिससे उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध कुछ ऐसा करने के लिये बाध्य किया जा सके जो वह अन्यथा नहीं करता।
संविदा करते समय यदि सम्मति प्रपीड़न से कारित है, ऐसी संविदा शून्यकरणीय है।
  • जब दो व्यक्ति रक्त या दत्तक ग्रहण के माध्यम से संबंधित होते हैं लेकिन पूरी तरह से पुरुषों के माध्यम से नहीं
एक व्यक्ति को दूसरे का बन्धु कहा जाता है यदि दोनों रक्त या गोद लेने से संबंधित हैं लेकिन पूरी तरह से पुरुषों के माध्यम से नहीं है।
  • जब पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकते हैं।
चोरी एक संज्ञेय अपराध है।
  • किसी मामले की सुनवाई और विचारण का क्षेत्राधिकार।
एक मजिस्ट्रेट पुलिस रिपोर्ट पर अपराध का संज्ञान ले सकता है।
  • वाणिज्य से जुड़ा या संबंधित।
सिविल प्रक्रिया संहिता को वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम 2015 के अनुसार संशोधित किया गया।
  • सामान्य आशय- सभी संबंधित पक्षों द्वारा साझा किया गया एक आशय
सामान्य आशय भारतीय दंड संहिता की धारा 34 के अंतर्गत दंडनीय है।
  • सभी संबंधित पक्षों द्वारा साझा किया गया कोई उद्देश्य।
सामान्य उद्देश्य भारतीय दंड संहिता की धारा 149 के अंतर्गत दंडनीय है।
  • अधिक सजा के लिये कम सजा की प्रतिस्थापना।
मृत्यु दंडादेश का लघुकरण भारतीय दंड संहिता की धरा 54 के अंतर्गत दिया है।
  • वह पक्ष जो कानूनी कार्रवाई या कार्यवाही में शिकायत करता है।
मजिस्ट्रेट शपथ पर परिवादी की परीक्षा कर सकता है।
  • कानून की अदालत में एक औपचारिक आरोप
आपराधिक परिवाद पर मजिस्ट्रेट दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 190 के अंतर्गत संज्ञान ले सकता है।
  • छुपाने की क्रिया
मृत शरीर के गुप्त व्ययन द्वारा जन्म छिपाना भारतीय दंड संहिता की धारा 318 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है।
  • जब इस अधिनियम द्वारा एक तथ्य को दूसरे तथ्य का निर्णायक साक्ष्य घोषित किया जाता है, तो न्यायालय एक तथ्य के सिद्ध होने पर दूसरे तथ्य को सिद्ध मानेगा और उसे गलत सिद्ध करने के उद्देश्य से साक्ष्य देने की अनुमति नहीं देगा।
विवाह, पितृत्व का निश्चायक साक्ष्य है जब तक यह सिद्ध ना किया जा सके कि विवाह के पक्षकारों के बीच ऐसे समय पर परस्पर पहुँच नहीं थी।
  • समवर्ती एक ही समय या स्थान से संबंधित।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 31 के अंतर्गत यदि अभियुक्त को एक से ज़्यादा अपराध के लिए दोषसिद्ध किया जाता है , उस स्तिथि में दंडादेश समवर्ती चलेंगे।
  • समवर्ती सूची में संघ और राज्य दोनों के सामान्य हित के विषय शामिल हैं।
दंड विधि समवर्ती सूची की विषय वस्तु है।
  • एक आदेश जिसमें कोई शर्त भी शामिल हो
ज़िला मजिस्ट्रेट, उपखण्ड मजिस्ट्रेट या कोई अन्य कार्यपालक मजिस्ट्रेट दंड प्रक्रिया संहिता के तहत सशर्त आदेश पारित कर सकते हैं।
  • क्षमा करना।
न्यायालय ने विलम्ब का उपमर्षण किया।
  • किसी व्यक्ति द्वारा अपराध स्वीकार करने की क्रिया।
पुलिस को दी गयी संस्वीकृति अभियुक्त के विरुद्ध सिद्ध नहीं की जा सकती।
  • इच्छा की सहमति।
पक्षकार की सम्मति कपटपूर्वक ली गई थी।
  • कुछ ऐसा जो किसी घटना के परिणामस्वरूप या फलस्वरूप घटित होता है।
एक विधिविरुद्ध कार्य के हमेशा प्रतिकूल परिणाम होते हैं।
  • विशेष रूप से किसी गैरकानूनी या हानिकारक उद्देश्य के लिये गुप्त रूप से योजना बनाना और एक साथ कार्य करना।
क और ख ने ग की हत्या के लिये षड्यंत्र रचा।
  • संविधान की व्याख्या के संबंध में विधि के महत्पूत्र्णव प्रश्न से जुड़े किसी भी मामले का निर्णय कम-से-कम पाँच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा किया जाना चाहिये। ऐसी पीठ को संविधान पीठ कहा जाता है।
संविधान पीठ से संबंधित प्रावधान भारत के संविधान के अनुच्छेद 145(3) में प्रदान किया गया है।
  • सरकार की शक्ति को सीमित करना और संविधान का पालन करना
भारतीय संविधान में संविधानवाद की अवधारणा है
  • वह जिसका चरित्र उसकी अपनी प्रकृति के लिये निर्दिष्ट नहीं है, लेकिन जिस तरह से उसे कानून के नियम या नीति द्वारा माना जाता है, उसके परिणामस्वरूप ऐसा चरित्र प्राप्त होता है।
आन्वयिक पूर्व न्याय सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 11 के स्पष्टीकरण 4 के अंतर्गत दिया है।
  • वह जो किसी चीज़ के भीतर समाहित हो।
दस्तावेज़ की अंतर्वस्तु प्राथमिक अथवा द्वितीयक साक्ष्य के द्वारा की जा सकती है।
  • संभावित हो, लेकिन आश्वस्त नहीं; किसी भविष्य की घटना के घटित होने पर आधारित जो स्वयं अनिश्चित या संदिग्ध हो।
समाश्रित करार, जो किसी असम्भव घटना के घटित होने पर ही कोई बात करने या न करने के लिए हों, शून्य हैं।
  • एक ऐसा हित जिसका लाभ धारक किसी पूर्ववर्ती शर्त के घटित होने पर ही उठा सकता है।
समाश्रित हित तब निहित हित बनता है जब पुरोभाव्य शर्त पूरी होती है।
  • कानून द्वारा प्रवर्तनीय समझौता।
पक्षकारों के बीच की गयी संविदा अवैध थी।
  • एक व्यक्ति को किसी अपराध का दोषी पाना।
क को हत्या केअपराध में सिद्धदोष करार दिया।
  • एकमात्र व्यक्ति होने का कानूनी अधिकार जो किसी पुस्तक, गीत या कंप्यूटर प्रोग्राम जैसे मूल कार्य को प्रिंट, कॉपी, प्रदर्शन आदि कर सकता है।
प्रतिलिप्यधिकार सुरक्षा, लेखक के पूरे जीवनकाल की अवधि तक तथा लेखक की मृत्यु के 60 वर्ष बाद तक प्रदान की जाती है।
  • भारत की द्विसदनीय संसद का ऊपरी सदन।
भारत के उपराष्ट्रपति राज्य सभा के सभापति होते हैं।
  • एक ही मुकदमे में वादी के विरुद्ध किया गया दावा।
प्रतिदावा सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश 8 नियम 6ए के अंतर्गत दायर किया जा सकता है।
  • धोखा देने के इरादे से नकल करना।
क को सिक्कों के कूटकरण के लिये दण्डित किया गया।
  • शब्द "न्यायालय" एक न्यायाधीश को दर्शाता है जो विधि द्वारा अकेले न्यायिक रूप से कार्य करने के लिये सशक्त है, या न्यायाधीशों के एक निकाय को दर्शाता है जो विधि द्वारा एक निकाय के रूप में न्यायिक रूप से कार्य करने के लिये सशक्त है, जब ऐसा न्यायाधीश या न्यायाधीशों का निकाय न्यायिक रूप से कार्य कर रहा हो।
मद्रास संहिता 1816 के विनियम 7 के आधीन कार्य करने वाली पंचायत जिसे वादों का विचारण करने और अवधारण करने की शक्ति प्राप्त है, न्यायालय है।
  • सत्र न्यायालय किसी जिले का सर्वोच्च आपराधिक न्यायालय है और गंभीर अपराधों की सुनवाई के लिए प्रथम दृष्टया न्यायालय है।
उच्च न्यायालय की पुष्टि के अधीन सत्र न्यायालय मृत्युदंड दे सकते हैं।
  • दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच एक या अधिक कार्य या चीजें करने के लिये किया गया समझौता।
बहुत सी अंतराष्ट्रीय प्रसंविदाओं में मानवीय अधिकारों की अवधारणाओं का उल्लेख है।
  • वह व्यक्ति जिसके ऋण पर किसी अन्य व्यक्ति (देनदार) का स्वामित्व है।
प्रत्याभूति की संविदा में जिस व्यक्ति को प्रत्याभूति दी जाती है वह लेनदार कहलाता है।
  • विरोधी पक्ष द्वारा गवाह की परीक्षा।
सूचक प्रश्न प्रतिपरीक्षा में पूछे जा सकते हैं।
  • पूर्वव्यापी कानून द्वारा परिभाषित परिस्थितियों में किसी व्यक्ति की हत्या करने का अपराध, हत्या की श्रेणी में नहीं आता है।
आपराधिक मानव वध के अपराध के लिए दण्ड भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 के अंतर्गत दिया है।
  • किसी व्यक्ति/वस्तु की देखभाल करने या रखने का कानूनी अधिकार या कर्तव्य।
हिन्दू विवाह अधिनियम,1955 की धारा 26 संतान की अभिरक्षा के विषय में बताती है।