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कानूनी शब्दावली

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  • संयुक्त किरायेदारों, सहदायिकों द्वारा भूमि को अलग-अलग भागों में विभाजित करना, ताकि वे उसे अलग-अलग रख सकें।
इस धारा में अन्तर्विष्ट कोई बात ऐसे विभाजन को लागू नहीं होगी जो 20 दिसम्बर, 2004 से पूर्व किया गया है।
  • किसी उत्पाद या आविष्कार को बनाने, उपयोग करने या बेचने का एकमात्र व्यक्ति होने का आधिकारिक अधिकार।
पेटेंट, आविष्कार के लिए दिया गया एक विशेष अधिकार है।
  • एक दोष, या विसंगति जिसे निरीक्षण पर आसानी से पाया जा सकता है।
अभिलेख में प्रत्यक्ष दोष पाया गया।
  • दान से प्राप्त साधनों को छोड़कर अन्य साधनों से वंचित व्यक्ति।
अकिंचन व्यक्ति सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 33 के तहत मुकदमा दायर कर सकता है।
  • किसी ऋण के संदाय के लिये या किसी वचन के पालन के लिये प्रतिभूति के तौर पर माल का उपनिधान गिरवी' कहलाता है। उस दशा में उपनिहिती ‘पणयमदार' कहलाता है।
गिरवी रखने में पणयमदार के पास प्रतिधारण का अधिकार है।
  • किसी ऋण के संदाय के लिये या किसी वचन के पालन के लिये प्रतिभूति के तौर पर माल का उपनिधान गिरवी' कहलाता है। उस दशा में उपनिधाता पणयमकार कहलाता है।
गिरवी रखने में पणयमकार के पास मोचनाधिकार अधिकार है।
  • मुकदमे की विषय-वस्तु के महत्त्व/अहमियत द्वारा सीमित क्षेत्राधिकार।
सिविल न्यायालय की धन संबंधी अधिकारिता 3 लाख से बढ़ा कर 20 लाख की गई।
  • किसी कानून, नियम या अनुबंध के उल्लंघन के लिये दी गई सज़ा।
शुल्क का भुगतान समय पर न करने के लिए शास्ति लगायी गयी।
  • डिक्री पारित होने पर या उसके बाद किसी भी समय न्यायालय द्वारा गुजारा भत्ता प्रदान किया जाता है।
न्यायालय, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 25 के अंतर्गत स्थायी निर्वाह व्यय प्रदान कर सकता है।
  • निषेधाज्ञा/व्यादेश जो निर्णय या आदेश का हिस्सा होती है और किसी समय तक सीमित नहीं होती है।
शाश्वत व्यादेश का प्रावधान विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम के अंतर्गत दिया है।
  • किसी का व्यक्तित्व बनाने की कार्य।
प्रतिरूपण द्वारा छल भारतीय दंड संहिता की धारा 416 के अंतर्गत परिभाषित है।
  • ऐसे व्यक्ति द्वारा याचना करना जो स्वीकार करता है कि उसने अपराध किया है।
न्यायालय अभियुक्त को उसके दोषी होने के अभिवाक पर दोषसिद्ध कर सकता है।
  • भौतिक नियंत्रण चाहे वह वास्तविक हो या कानून की नज़र में।
क का मकान ख के कब्जे में है।
  • कानून, अध्यादेश या विनियमन का एक परिचयात्मक भाग जो कानून या विनियमन के कारण और आशय को बताता है या व्याख्यात्मक उद्देश्य के लिये उपयोग किया जाता है।
भारत के संविधान की उद्देशिका संविधान का भाग है।
  • पहले के कानून या निर्णय जो उदाहरण प्रस्तुत करते हैं या मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं।
पूर्व न्याय का सिद्धांत भारत के संविधान के अनुच्छेद 141 द्वारा उपबंधित किया गया है।
  • एक लिखित आदेश या आज्ञा
आज्ञापत्र के अंतर्गत की गयी कुर्की दो माह से अधिक अवधि के लिए नहीं की जा सकती।
  • नियमों के अनुसार रखना।
सिविल प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत विहित का तात्पर्य है नियमों द्वारा विहित।
  • चोट, हानि या नष्ट होने से सुरक्षित रखने की क्रिया।
हमारे गैर नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधनों का परिरक्षण करना बहुत महत्त्वपूर्ण है।
  • गणतंत्रात्मक शासन प्रणाली में संवैधानिक प्रमुख।
राष्ट्रपति का निर्वाचन भारतीय संविधान के अनुछेद 54 के अंतर्गत दिया है।
  • जब तक अन्यथा न दिखाया जाए, सिद्ध मानना।
7 वर्ष से कम आयु के बच्चे की विधि द्वारा निर्दोष होने की उपधारणा की गयी है।
  • किसी क्षति रोकने के उद्देश्य से दी गई राहत।
विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम के अंतर्गत निवारक अनुतोष दिया जा सकता है।
  • ऊपर - ऊपर से देखने पर, पहली बार में देखने पर।
आरोपी के विरुद्ध प्रथमदृष्टया कोई मामला नहीं बनता है।
  • वह जो अपने सामान्य नियंत्रण के अधीन दूसरों को अपने लिये कार्य करने हेतु नियुक्त करता है।
मालिक ऐसे अभिकर्त्ता की नियुक्ति कर सकता है जो अवयस्क नहीं है।
  • वह व्यक्ति जिसे कारागार में रखा गया हो।
दंड न्यायालय एक बंदी की साक्षी के रूप में जांच कर सकता है।
  • अकेले रहने का अधिकार, या हस्तक्षेप या अतिक्रमण से स्वतंत्रता।
निजता का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत प्रदान किया गया है।
  • अपने तथा दूसरों के शरीर और संपत्ति की रक्षा करने का अधिकार।
यदि कोई व्यक्ति किसी महिला का बलात्संग करने का प्रयत्न करता है, उस स्थिति में महिला के पास मृत्यु कारित करने का निजी प्रतिरक्षा का अधिकार है।
  • विशेषाधिकार प्राप्त संचार दो पक्षों के बीच की बातचीत है जिसे कानूनी तौर पर निजी चर्चा के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
विशेषाधिकार प्राप्त संसूचना के प्रावधान भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत दिये हैं।
  • एक न्यायिक प्रक्रिया जिसके द्वारा एक वसीयतनामा दस्तावेज़ को वैध वसीयत के रूप में स्थापित किया जाता है।
जब आवेदन प्रोबेट के लिए है तो यह की अर्जी दाता वसीयत में नामित निष्पादक है।
  • अधिकार या आदेश द्वारा मना करना।
सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान करना प्रतिषेध है।
  • किसी कार्य को करने, कार्य करने से परहेज़ करने या भुगतान या डिलीवरी करने के लिये एक दृढ़ वचन।
प्रस्थापना प्रतिगृहीत हो जाने पर वचन हो जाती है।
  • वह व्यक्ति जिससे वादा किया गया हो।
प्रस्थापना प्रतिगृहीत करने वाला व्यक्ति वचनगृहीता कहलाता है।
  • वादा करने वाला व्यक्ति
प्रस्थापना करने वाला व्यक्ति वचनदाता कहलाता है।
  • वह कानूनी दस्तावेज़ जिसके द्वारा वचनदाता पर वचनगृहीता के पक्ष में मौद्रिक दायित्व सृजित किया जाता है।
क ने ख के पक्ष में वचन पत्र बनाया।
  • जब एक व्यक्ति दूसरे को कुछ भी करने या करने से प्रविरत करने की अपनी इच्छा व्यक्त करता है, तो ऐसे कार्य या प्रविरति के लिये दूसरे की सहमति प्राप्त करने की दृष्टि से, उसे कहा जाता है कि वह एक प्रस्ताव रखता है;
प्रस्थापना प्रतिगृहीत हो जाने पर वचन बन जाती है।
  • वह पक्ष जिसके द्वारा आपराधिक कार्यवाही शुरू या संचालित की जाती है।
अभियोजन पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहा।
  • किसी विधिक या औपचारिक दस्तावेज़ में प्रविष्ट किया गया एक खंड, जो कुछ शर्त, नियम, अपवाद या सीमा का निर्माण करता है या जिसके पालन पर उपकरण का संचालन या विधिमान्यता निर्भर करती है।
विधि के किसी प्रावधान को पढ़ते समय उसके साथ दिए गए परन्तुक को ध्यान से पढ़ना चाहिए।
  • किसी कार्य की क्रिया या विद्यमान क्रोध, नाराज़गी या जलन।
गंभीर और अचानक प्रकोपन हत्या के अपराध का एक अपवाद है।
  • किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति को प्रभावित करने वाली दवाओं को दर्शाने से संबंधित।
अधिकतर सभी मनःप्रभावी दवाइओं के हानिकारक दुष्प्रभाव होते हैं।
  • लोकहित को सुरक्षित करने और सामाजिक रूप से वंचित पक्षों को न्याय की उपलब्धता प्रदर्शित करने के लिये दायर किया गया वाद
सुने जाने के अधिकार का लोकहिते वाद के सन्दर्भ में कड़ाई से पालन नहीं होता है।
  • ऐसा कार्य जो अवैध है क्योंकि वह आमतौर पर जनता के अधिकारों में हस्तक्षेप करता है।
लोक उपताप भारतीय दंड संहिता की धारा 268 में परिभाषित किया गया है ।
  • एक लोक अधिकारी जो राज्य की ओर से दंडनीय कृत्यों की जाँच और अभियोजन हेतु उत्तरदायी हो।
लोक अभियोजक की नियुक्ति दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 24 के अंतर्गत की जा सकती है।
  • दण्ड पाने योग्य या दण्ड के पात्र
विशेष अपराध - धारा 23, धारा 24, धारा 25 और धारा 26 के अधीन दंडनीय अपराध संज्ञेय होंगे ।