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सांविधानिक विधि

अपना लिंग बदलना किसी व्यक्ति का एक संवैधानिक अधिकार है

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 24-Aug-2023

नेहा सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 2 अन्य

यदि हम किसी व्यक्ति में अपनी पहचान बदलने के निहित अधिकार को स्वीकार नहीं करते हैं, तो हम लिंग पहचान विकार सिंड्रोम को प्रोत्साहित करेंगे।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय

स्रोतः इलाहाबाद उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नेहा सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 2 अन्य के मामले में माना है कि किसी व्यक्ति को लिंग परिवर्तन सर्जरी (Sex Reassignment Surgery (SRS) के माध्यम से अपना लिंग बदलने का संवैधानिक अधिकार है। 

पृष्ठभूमि

  • यह मामला एक अविवाहित महिला (उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल के रूप में कार्यरत) द्वारा दायर रिट याचिका से संबंधित है जिन्होंने जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ित होने का दावा किया था और लिंग परिवर्तन सर्जरी (Sex Reassignment Surgery (SRS) कराने की इच्छा जताई थी।
  • याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया था कि उसने 11 मार्च, 2023 को पुलिस महानिदेशक, लखनऊ, उत्तर प्रदेश से लिंग परिवर्तन सर्जरी (Sex Reassignment Surgery (SRS) करवाने के लिये आवश्यक मंज़ूरी के लिये आवेदन किया था। लेकिन इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया, इसलिये तत्काल आधार पर याचिका दायर की गई।
  • यह तर्क देने के लिये कि याचिकाकर्ता के आवेदन को रोकना प्रतिवादियों के लिये उचित नहीं था, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority) बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में दिये गए उच्चतम न्यायालय के फैसले पर भरोसा किया गया था (2014) (जिसे आमतौर पर नालसा मामले के रूप में जाना जाता है)। 
    • उपर्युक्त मामले में न्यायालय ने ट्रांसजेंडर लोगों को पुरुष, महिला या तीसरे लिंग के रूप में अपने लिंग की स्वयं पहचान करने का अधिकार देते हुए उन्हें 'तीसरा लिंग' घोषित किया।
    • साथ ही, संवैधानिक प्रावधानों के संबंध में, न्यायालय ने माना कि लिंग पहचान जीवन का अभिन्न अंग है और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, निजता और गरिमा के एक कार्य के रूप में भारत के संविधान, 1950 (COI) के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत संरक्षित किया जाएगा।
  • याचिकाकर्ता ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 15 पर भी भरोसा किया जो लिंग परिवर्तन सर्जरी (Sex Reassignment Surgery (SRS) और हार्मोनल थेरेपी सहित स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं से संबंधित है।

न्यायालय की टिप्पणियाँ

  • न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने कहा कि यदि आधुनिक समाज में, हम किसी व्यक्ति में अपनी पहचान बदलने के इस निहित अधिकार को स्वीकार नहीं करते हैं, तो हम "केवल लिंग पहचान विकार सिंड्रोम को प्रोत्साहित करेंगे"।
  • न्यायालय ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि क्या NALSA मामले में उचच्तम न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के अनुपालन में ऐसे किसी अधिनियम को लागू करने के संबंध में कोई उचित हलफनामा दायर किया गया है और यदि ऐसा है, तो उसे रिकॉर्ड पर भी लाया जा सकता है।

कानूनी प्रावधान

ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019

  • ट्रांसजेंडर व्यक्ति की परिभाषा : धारा 2(K) - "ट्रांसजेंडर व्यक्ति" का अर्थ ट्रांसजेंडर व्यक्ति ऐसा व्यक्ति है जो कि (i) न तो पूरी तरह से महिला है और न ही पुरुष, (ii) महिला और पुरुष, दोनों का संयोजन है, या (iii) न तो महिला है और न ही पुरुष। इसके अतिरिक्त उस व्यक्ति का लिंग जन्म के समय नियत लिंग से मेल नहीं खाता। इसमें ट्रांस-मेन, ट्रांस-विमेन और इंटरसेक्स भिन्नताओं और लिंग विलक्षणताओं वाले व्यक्ति भी आते हैं।
  • भेदभाव के विरुद्ध निषेध: अधिनियम की धारा 3 निम्नलिखित आधार पर भेदभाव पर रोक लगाती है
    • शिक्षा;
    • रोज़गार;
    • स्वास्थ्य देखभाल;
    • जनता के लिये उपलब्ध वस्तुओं, सुविधाओं, अवसरों तक पहुँच या उनका आनंद;
    • आंदोलन का अधिकार;
    • संपत्ति पर निवास करने, किराये पर लेने या अन्यथा कब्ज़ा करने का अधिकार;
    • सार्वजनिक या निजी पद को संभालने का अवसर; और
    • किसी सरकारी या निजी प्रतिष्ठान तक पहुँच जिसकी देखभाल या संरक्षण में एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति है।
  • रोज़गार: कोई भी सरकारी या निजी संस्था भर्ती और पदोन्नति सहित रोज़गार के मामलों में किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं कर सकती है।
  • स्वास्थ्य देखभाल: इस अधिनियम की धारा 15 स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में बात करती है।
    • धारा 15 - समुचित सरकार ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के संबंध में निम्नलिखित उपाय करेगी, अर्थात्: -
      (a) इस संबंध में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार ऐसे व्यक्तियों हेतु सीरो-निगरानी करने के लिये अलग मानव इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस सीरो-निगरानी केंद्र स्थापित करना;
      (b) लिंग परिवर्तन सर्जरी और हार्मोनल थेरेपी सहित चिकित्सा देखभाल सुविधा प्रदान करना;
      (c) लिंग परिवर्तन सर्जरी से पहले और बाद में और हार्मोनल थेरेपी परामर्श;
      (d) वर्ल्ड प्रोफेशन एसोसिएशन फॉर ट्रांसजेंडर हेल्थ दिशानिर्देशों के अनुसार लिंग परिवर्तन सर्जरी से संबंधित एक स्वास्थ्य मैनुअल जारी करना;
      (e) उनके विशिष्ट स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान के लिये डॉक्टरों हेतु चिकित्सा पाठ्यक्रम और अनुसंधान की समीक्षा;
      (f) अस्पतालों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों और केंद्रों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की पहुँच को सुविधाजनक बनाना;
      (g) लिंग परिवर्तन सर्जरी, हार्मोनल थेरेपी, लेजर थेरेपी या ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के किसी अन्य स्वास्थ्य मुद्दे के लिये एक व्यापक बीमा योजना द्वारा चिकित्सा व्यय के कवरेज का प्रावधान।
    • ट्रांसजेंडर व्यक्ति के लिये पहचान प्रमाण पत्र : अधिनियम की धारा 5 और 6 क्रमशः पहचान प्रमाण पत्र के लिये आवेदन तथा पहचान प्रमाण पत्र जारी करने के बारे में बात करती हैं।
    • राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर व्यक्ति परिषद (NCT) - धारा 2(g) राष्ट्रीय परिषद को धारा 16 के तहत स्थापित ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय परिषद के रूप में परिभाषित करती है।
    • एनसीटी के गठन का उल्लेख इस प्रकार है:
      1. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के प्रभारी केंद्रीय मंत्री, अध्यक्ष, पदेन;
      2. सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के प्रभारी राज्य मंत्री, उपाध्यक्ष, पदेन सदस्य;
      3. सचिव, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के प्रभारी, पदेन सदस्य;
      4. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, गृह मंत्रालय, आवास और शहरी मामले, अल्पसंख्यक मामले, मानव संसाधन विकास, ग्रामीण विकास, श्रम और रोज़गार तथा कानूनी मामलों के विभाग, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग तथा नीति आयोग से एक-एक प्रतिनिधि जो भारत सरकार के संयुक्त सचिव के पद से नीचे के स्तर का अधिकारी नहीं होगा, सदस्य, पदेन;
      5. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग से एक-एक प्रतिनिधि, जो भारत सरकार के संयुक्त सचिव पद से नीचे के स्तर का अधिकारी नहीं होगा, पदेन सदस्य;
      6. राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के बारी-बारी से प्रतिनिधि, उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और उत्तर-पूर्व क्षेत्रों से एक-एक, केंद्र सरकार द्वारा नामित, पदेन सदस्य;
      7. राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से बारी-बारी से ट्रांसजेंडर समुदाय के पांच प्रतिनिधि, उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और उत्तर-पूर्व क्षेत्रों से एक-एक, केंद्र सरकार द्वारा नामित किये जाने वाले सदस्य;
      8. ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण के लिये काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों या संघों का प्रतिनिधित्व करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा नामित पाँच विशेषज्ञ, सदस्य; और
      9. ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण से संबंधित सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में भारत सरकार के संयुक्त सचिव, पदेन सदस्य सचिव।
    • अपराध और दंड - वे अधिनियम की धारा 18 के तहत प्रदान किये जाते हैं।

संवैधानिक पहलू

  • लैंगिक न्याय मुख्य रूप से अनुच्छेद 15, 16 के तहत प्रदान किया जाता है, हालाँकि लिंग के स्थान पर सेक्स शब्द का उपयोग किया गया है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार - लिंग का तात्पर्य महिलाओं, पुरुषों, लड़कियों और लड़कों की उन विशेषताओं से है जो सामाजिक रूप से निर्मित होती हैं। इसमें एक महिला, पुरुष, लड़की या लड़का होने से जुड़े मानदंड, व्यवहार और भूमिकाएं शामिल हैं, साथ ही एक-दूसरे के साथ संबंध भी शामिल हैं और सेक्स महिलाओं, पुरुषों तथा इंटरसेक्स व्यक्तियों की विभिन्न जैविक एवं शारीरिक विशेषताओं को संदर्भित करता है, जैसे कि गुणसूत्र, हार्मोन और प्रजनन अंग।
    • अनुच्छेद 15 धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है।
    • अनुच्छेद 16 धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान, वंश और निवास के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है।
  • नालसा मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि लिंग पहचान संविधान द्वारा अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 21 के तहत प्रदान की जाती है।
    • उचित प्रतिबंधों के अधीन अनुच्छेद 19 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि से संबंधित कुछ अधिकारों के संरक्षण का उल्लेख है -
      (1) सभी नागरिकों को अधिकार होगा-
      (a) वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का;
      (b) शांतिपूर्वक और बिना हथियारों के इकट्ठा होना;
      (c) संघ या यूनियन या सहकारी समितियाँ बनाना;
      (d) भारत के पूरे क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से घूमने के लिये;
      (e) भारत के क्षेत्र के किसी भी हिस्से में निवास करना और बसना;
      (f) कोई पेशा अपनाना, या कोई व्यवसाय, व्यापार या कारोबार करना।
    • अनुच्छेद 21 - जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण - किसी भी व्यक्ति को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा।